होरिजोन हाईट्स सोसाइटी से सटे ही ‘वाइन शॉप’ खोले जाने का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। केन्द्रीय शहरी राज्य मंत्री कौशल किशोर के हस्तक्षेप का भी कोई असर नहीं दिख रहा है। मोदी सरकार के मंत्री कौशल किशोर ने होरिजोन हाईट्स की निवासी महिलाओं की फरियाद सुन कर कलेक्टर को विवाद निपटाने का निर्देश दिया था। मामले में कलेक्टर द्वारा वाइन शॉप को नियमानुसार परमीशन देने की बात कहने पर वाइन शॉप के संचालक का मनोबल बढ़ गया। परसों 14 जून को वाइन शॉप के पास भजन-कीर्तन कर विरोध प्रदर्शन करने वाली होरिजोन सोसाइटी की महिलाओं से वाइन शॉप के स्टाफ ने बोलाचाली की और महिलाओं से धक्कामुक्की की। सूत्रों के मुताबिक महिलाओं ने उनकी रेसिडेंशियल सोसाइटी से सटे ही शराब की दुकान खोलने पर आपत्ति जताई तो वाइन शॉप के लोगों ने औरतों के साथ धक्कामुक्की की। इस धक्कामुक्की में कई महिलाओं को हल्की चोटें भी आईं। जबकि वाइन शॉप के एक व्यक्ति ने इस धक्कामुक्की में महिलाओं से अपने को चोट लगने के बहाने 108 एम्बुलेंस बुला कर अस्पताल चला गया जहाँ से उसे कोई चोट नहीं लगने की बात कह कर अस्पतालवालों ने उसे वहाँ से रवाना कर दिया। दूसरी ओर, वाइन शॉप के लोगों द्वारा धक्कामुक्की करने की फरियाद लेकर एसपी से मिलने पहुंची सोसाइटी की महिलाओं को पुलिस सुपरीटेन्डेंट ने कानून हाथ में नहीं लेने की बात समझा कर रवाना कर दिया। कहने का मतलब यह है कि वाइन शॉप को प्रशासन से लीगल परमीशन प्राप्त होने की वजह से पुलिस भी कुछ करने की स्थिति में नहीं है। सुनने में आया है कि प्रशासन ने होरिजोन हाईट्स सोसाइटी से सट कर बनाई दुकानों वाली इमारत को कॉमर्शियल बता कर उसमें वाइन शॉप खोलने की परमीशन दे डाली! जबकि वास्तव में यह वाइन शॉप वाली ईमारत होरिजोन हाईट्स सोसायटी से सटी हुई है। होरिजोन सोसाइटी के लोगों का सवाल है कि जब रिहायशी ईमारत से 200 मीटर के भीतर कोई शराब की दुकान नहीं खोली जा सकती तो होरिजोन हाईट्स से 50 मीटर से भी नजदीक में उक्त वाइन शॉप खोलने की प्रशासन कैसे परमीशन दे सकता है? क्या 200 मीटर का नियम कॉमर्शियल बिल्डिंग के मामले में लागू नहीं होता है ? क्या प्रशासन को अपने राजस्व आय के आगे सोसाइटी के हित नजर नहीं आते? प्रशासन की नजर में मानवता नाम की कोई चीज है कि नहीं?

